हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, सुश्री शाहीन इस्लाम, वरिष्ठ कैरियर काउंसलर, ने कहा कि आज पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है लेकिन केवल एक दिन कुछ करने या उनके अधिकारों के बारे में लिखकर क्या हासिल होगा? ये एक बड़ा सवाल है। अगर हम मुस्लिम महिलाओं, महान विद्वानों से लेकर धर्मगुरुओं की बात करें, तो वे कहेंगे कि इस्लाम ने 1400 साल पहले महिलाओं के अधिकारों को बयान कर दिया है , इसमें कोई संदेह नहीं है।
मौजूदा समय की बात करें तो कुरआन और हदीस की बाते केवल किताबों तक ही सीमित रह गई हैं। यह किसकी गलती है? कोई इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
शाहीन इस्लाम ने कहा, "जहां तक महिलाओं के अधिकारों का सवाल है, कुरान ने स्पष्ट किया है, लेकिन अगर उन्हें ज़मीनी स्तर पर नहीं दिया जा रहा है, तो हम इसके लिए खुद जिम्मेदार हैं। क्योंकि हम उन अधिकारों का पालन नहीं कर रहे हैं जो हमें कुरआन और हदीस ने आदेश दिया हैं।
शाहीन इस्लाम ने कहा, “इस्लाम में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, महिलाओं को ज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। लड़कों या लड़कियों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन कुछ मामलों में लड़कियों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि भविष्य में वह एक माँ के रूप में अगली पीढ़ी की बुनियाद बन जाती है।
उन्होंने कहा महिलाओं को पैगंबर की शिक्षाओं के बारे में पढ़ना चाहिए और उस समय की महिलाओं के बारे में पढ़ना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बड़े पैमाने पर सेमिनार आयोजित किया गया। जहां महिलाओं के अधिकारों पर भी चर्चा की गई। और पूरी ईमानदारी के साथ काम करने की ज़रूरत पर जोर दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मदरसों और अन्य संगठनों के नेताओं की जिम्मेदारी हैं, कि वे इस संबंध में काम करें और लोगों को जागरूक करें। हमारे समाज में महिलाओं के बीच एक गलत फ़हमी है कि अगर उन्हें विरासत में अधिकार दिया जाता है, तो उनके भाइयों के साथ रिश्ता टूट जाते है। जबकि ऐसी कोई बात नही हैं।